ये आशि‍की का शहर......

प्रस्तुतकर्ता व्‍यंग्‍य-बाण Sunday, August 10, 2008

वो गली हुस्‍न की, ये आशिकी का शहर
दिल में जिंदा है तेरी, तीरे नजर तीरे नजर
वो गली हुस्‍न की....
दिल में तूफ़ान उठा ये चांदनी देखकर
चांद शर्मिंदा हुआ तुझको दिलनशीं पाकर
फिर उठी दर्दे लहर,एक नजर एक नजर
वो गली हुस्‍न की.....

4 टिप्पणियाँ

  1. seema gupta Says:
  2. चांद शर्मिंदा हुआ तुझको दिलनशीं पाकर
    "wah, beautiful, ek dilnaseen gazal"
    Regards

     
  3. Achchi rachna hai....badhai..

     
  4. good

     
  5. सुन्‍दर कविता, जैसवानी जी बहुत ही सुन्‍दर ब्‍लाग टैम्‍पलेट लगाया है. आभार.

     

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दैनिक छत्‍तीसगढ में ब्‍यूरो चीफ जिला जांजगीर-चांपा
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