गजल - मय से मयकदा से.....

प्रस्तुतकर्ता व्‍यंग्‍य-बाण Saturday, July 12, 2008

मय से मयकदा से, इश्‍क इक अदा से
जिंदगी है आज मेरी, तेरी ही सदा से
मय से मयकदा से........
सुर्ख सुर्ख आंखों में अश्‍क थे भरे
मेरी ये दिले हालत क्‍या बयां करें
अलविदा करके तुझे हो गए जुदा से
मय से मयकदा से्....
तू नहीं तो ऐ दिलबर, जाम साथ है
फानी दुनिया में जीना अपने हाथ है
अब शिकवा किससे करें, खुद से या खुदा से
मय से मयकदा से.....

3 टिप्पणियाँ

  1. बढिया गजल है।

     
  2. seema gupta Says:
  3. सुर्ख सुर्ख आंखों में अश्‍क थे भरे
    मेरी ये दिले हालत क्‍या बयां करें
    अलविदा करके तुझे हो गए जुदा से
    मय से मयकदा से्....
    "behtreen"

     
  4. bahut achche.....all the best....

     

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