छत्तीसगढ़ प्रदेश में 19 अप्रेल से ग्राम सुराज अभियान का आगाज हो चुका है। गांवों, गरीबों की समस्याओं की सुध लेने तथा उसे हल करने के लिए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह सहित कई मंत्री, विधायक, सरकारी अधिकारी गांवों में पहुंच रहे हैं, पर इस बार ग्रामीणों के तीखे तेवरों से नेताओं और अधिकारियों को दो चार होना पड़ रहा है। कारण साफ है कि पिछले वर्षों में चलाए गए सुराज अभियान के तहत् मिले आवेदनों, समस्याओं का निपटारा अब तक नहीं हुआ है। अधिकारियों कर्मचारियों ने अपनी चमड़ी बचाने के लिए हजारों शिकायतें तथा लाखों आवेदन कागजों में निराकृत कर दिए। जाहिर है कि ऐसी खोखली कार्रवाईयों से छत्तीसगढ़ में सुराज तो आने से रहा। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के मिश्रित अनुदान से चलने वाली कई योजनाओं में वैसे भी भ्रष्टाचार चरम पर है।
प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के मुखिया डा. रमन सिंह ने तमाम प्रयासों से राज्य के विकास के लिए नए नए प्रयोग किए हैं, मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद राज्य का स्वरूप बदला भी है, लेकिन उतनी ही तेजी से भ्रष्टाचार बढ़ा है और सरकारी मशीनरी की मनमानी भी बढ़ गई है। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ तमाम शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं होती, वहीं आम जनता के लिए चलाई जा रही योजनाओं में भी खासा घालमेल है। हालांकि मुख्यमंत्री पर सीधे तौर पर न तो कोई गंभीर आरोप लगे हैं और न ही भ्रष्टाचार के मामले विपक्ष सहित अन्य विरोधी दल उन पर साबित कर सके हैं। वर्ष 2010 के अप्रेल माह में चलाए गए ग्राम सुराज अभियान के तहत् सरकार को 7 लाख 40 हजार 298 आवेदन, शिकायतें मिली थी। जिनमें से 60 प्रतिशत मामलों का कागजों में निराकरण कर दिया गया है। जब पिछले वर्षों के दौरान मिले आवेदनों, शिकायतों का वास्तविकता में निराकरण हुआ ही नहीं, तो दोबारा उन्हीं गांवों में जा रहे नेताओं, अधिकारियों को आक्रोश तो झेलना पड़ेगा ही। कई गांवों में ग्रामीणों ने सुराज अभियान का बहिष्कार करने की ठान ली है। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में तो ग्रामीणों ने अनोखे तरीके से सुराज अभियान का बहिष्कार किया। गांव के सैकड़ों लोगों ने मुंडन कराकर सुराज अभियान की अर्थी निकाल दी। सवाल यह उठता है कि आखिर इस तरह कागजी निराकरण से क्या प्रदेश की समस्याएं खत्म हो जाएंगी, क्या सरकार की मंशा यही है कि समस्याओं का निराकरण इस तरह से हो ? प्रदेश के मुखिया छत्तीसगढ़ में सुराज लाना चाहते हैं और अधिकारी इसमें पलीता लगा रहे हैं तो जाहिर है कि ऐसे में छत्तीसगढ़ प्रदेश की जनता को सुराज का बरसों बरस इंतजार करना पड़ेगा।
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