ग्राम सुराज अभियान के पहले दिन ही कई सुराज दलों को ग्रामीणों के आक्रोश से दो चार होना पड़ा। बिर्रा क्षेत्र में प्रस्तावित मोजरबेयर पावर कंपनी के प्लांट का विरोध करते हुए सिलादेही के ग्रामीणों ने सुराज दल को स्कूल के अंदर जाने ही नहीं दिया। सुराज दल को रोके जाने की सूचना पर गांव पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों को भी कई घंटे बिठाए रखा और सुराज अभियान का बहिष्कार कर दिया।
बम्हनीडीह विकासखंड के गांव सिलादेही के प्राथमिक शाला में सुराज अभियान हेतु ग्रामीणों से बातचीत व शिकायतों के लिए पहले दिन 19 अप्रेल को जैसे ही अधिकारी पहुंचे, सैकड़ों ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और स्कूल
के अंदर जाने से रोक दिया। सूचना मिलने पर एसडीएम चांपा सी. डी. वर्मा, नायब तहसीलदार बी. एस. कंवर, जनपद पंचायत के सीईओ सी. एस. चंद्रा, थाना प्रभारी उषा सोंधिया गांव पहुंचे। तब कहीं जाकर सुराज दल
को स्कूल के अंदर जाने दिया गया। अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाईश देकर सुराज में हिस्सा लेने के लिए उनकी समस्याएं पूछी तो ग्रामीणों ने दो टूक अपनी मांगें रख दी। ग्रामीणों ने अधिकारियों से साफ तौर पर कहा कि मोजरबेयर पावर प्लांट यहां स्थापित न किया जाए, वहीं सरपंच व उपसरपंच का इस्तीफा स्वीकार किया जाए। अधिकारियों ने पावर प्लांट के मामले को शासन स्तर का बताते हुए ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि वे उनकी बात सरकार तक पहुंचा देंगे। वहीं जनप्रतिनिधियों के इस्तीफे के संबंध में जानकारी लिए जाने पर पता चला कि सरपंच व उपसरपंच ग्रामीणों के दबाव में आकर इस्तीफा दे रहे हैं।
विदित हो कि बम्हनीडीह विकासखंड के बिर्रा क्षेत्र में मोजरबेयर पावर कंपनी द्वारा 1320 मेगावाट के दो संयंत्र प्रस्तावित हैं। पावर प्लांट की स्थापना के लिए सिलादेही, गतवा तथा बिर्रा की लगभग 1000 एकड़ भूमि अधिग्रहित की जानी है। सिलादेही के ग्रामीणों ने गांव पहुंचने वाले कंपनी प्रबंधन को भी दुर्व्यवहार कर लौटा दिया था, वहीं कंपनी द्वारा स्कूली बच्चों को बस्ता बांटे जाने का विरोध करते हुए हंगामा भी किया था। सैकड़ों की संख्या में कलेक्टोरेट पहुंचकर किसान अपना विरोध जता चुके हैं कि मोजरबेयर पावर कंपनी को वे अपनी जमीन नहीं देना चाहते, लेकिन प्रशासन के अधिकारी इसे आवश्यक अधिग्रहण बता कर प्रक्रिया में लगे हुए हैं। सिलादेही के ग्रामीण हर कदम पर पावर कंपनी का विरोध करने में जुटे हुए हैं। इसी वजह से उन्होंने ग्राम
सुराज अभियान का भी बहिष्कार कर दिया और वहां पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों को चार घंटे तक बिठाए रखा लेकिन एक भी आवेदन नहीं दिया।
सबसे बड़ी समस्या पावर कंपनी
सिलादेही के ग्रामीणों का कहना है कि आने वाले दिनों में उनकी सबसे बड़ी समस्या पावर कंपनी की स्थापना किए जाने से होगी। इस क्षेत्र में द्विफसली कृषि भूमि है, अधिकतर किसान सिंचाई सुविधा के चलते यहां साल भर में दो फसलें उपजाते हैं, लेकिन शासन के अधिकारी पावर कंपनी से मिलीभगत के चलते कृषि भूमि को बंजर बताकर प्लांट के लिए देने की तैयारी में हैं। यहां के किसानों की मुख्य आजीविका कृषि ही है। पावर प्लांट को जमीन दिए जाने के बाद किसान कहां जाएंगे ? इसके अलावा उद्य़ोग लगने से प्रदूषण तथा अन्य समस्याएं भी क्षेत्र में पैदा हो जाएंगी।
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