नेपाल रेडियो से गीत-संगीत का सफर शुरू करने वाले बालीवुड के सुप्रसिध्द पार्श्व गायक पद्श्री उदित नारायण पांच दिवसीय जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव में शिरकत करने पहुंचे, जहां उन्होंने तकरीबन दो घंटे तक हिन्दी फिल्मों में खुद के गाए हुए गीत पेश किए। कार्यक्रम खत्म होने के बाद आधी रात को दो बजे कुछ मिनटों के लिए मंच के बाजू में बनाए गए ग्रीन रूम में उदित नारायण ने रतन जैसवानी से संक्षिप्त बातचीत की।
0 बालीवुड में रोज नए-नए गायक उभर रहे हैं, जितनी जल्दी इन्हें मौका मिल रहा है, उतनी से तेजी से वे गुमनाम भी हो जा रहे हैं, क्या वजह लगती है।
00 दरअसल जमाना बदल रहा है, उसके साथ ही संगीत में काफी बदलाव आया है, रियलिटी शो हो रहे हैं, तो नए-नए युवाओं की प्रतिभा भी सामने आ रही है। लेकिन सच तो यही है कि इतनी प्रतिस्पर्धा के बावजूद जो गीत-संगीत की रूह को समझता है, उसे अपनी आत्मा में बसा लेता है, वही यहां टिक पाता है।
0 गीत-संगीत के क्षेत्र में सफर की शुरूआत कैसे हुई ?
00 नेपाल रेडियो में कार्यक्रम पेश करता था, उसके बाद सन् 1980 में मोहम्मद रफी के साथ गाने का मौका मिला तो पहला गीत उन्हीं के साथ गाया। फिल्म थी उन्नीस-बीस, जिसमें संगीतकार राजेश रोशन ने मुझे मौका दिया गाने का।
0 संघर्ष भी करना पड़ा था बालीवुड में ?
00 बिलकुल, मुंबई की मायानगरी में बिना संघर्ष के कुछ नहीं मिलता है। वह दौर नामी गायकों का था, मौसिकी के मसीहा मोहम्मद रफी साहब, हर दिल अजीज बन चुके किशोर दा। बड़े दिलवाला फिल्म में किशोर दा ने गाया था जीवन के दिन छोटे सही, हम भी बड़े दिलवाले। इसी गीत को मैंने और लताजी ने डुएट गाया था।
0 किन-किन भाषाओं में अब तक गाने गाए हैं आपने ?
00 नेपाल रेडियो में था तो नेपाली, मैथिली भाषा में गाता था, फिर बालीवुड पहुंचा तो भोजपुरी, हिंदी गाने गाए, लगभग 30 भाषाओं में गा चुका हूं। लेकिन सबसे बड़ा ब्रेक या कहिए कि मुझे पहचान मिली 1988 में, जब आमिर खान, जूही चावला अभिनीत फिल्म कयामत से कयामत तक में गाने का मौका मिला। फिल्म इतनी हिट हुई कि इसका गीत-संगीत आज भी लोगों को लुभाता है।
0 आपका बेटा भी गायक बन चुका है, पत्नी भी इसी विधा में हैं, कैसा लगता है ?
00 ये तो ईश्वर की देन है कि आदित्य ने मेहनत की, दीपा भी आजकल गा रही हैं। घर में संगीत का माहौल है तो लगता है कि उपरवाले की बहुत कृपा है।0 आपकी सफलता का क्या मंत्र है ?
00 बस यही कि कर्म में विश्वास करना चाहिए, मेहनत में कमी नहीं हो और ईश्वर पर भरोसा होना चाहिए, सफलता आपके कदम चूमेगी।
0 यहां का माहौल कैसा लगा ?
00 सच कहूं तो छत्तीसगढ़ की मिट्टी में अपनेपन की खुशबू है। यहां आकर ऐसा लगा कि जैसे अपने घर में हूं। जवाब नहीं, बहुत मजा आया।
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