जांजगीर की छात्रा का फर्जीवाडा
खबर एक्सप्रेस की खबर हुई सच
जांजगीर चांपा जिले में पिछले चार दिनों से बारहवीं की प्रावीण्यता सूची में फर्जीवाडा उजागर होने के बाद शिक्षा जगत में हलचल है, खबर एक्सप्रेस में नकल की स्थिति पर लिखा गया आखिर सच साबित हुआ कि किस तरह कामचोरी नकल करके कसडोल क्षेत्र के सेमरा गांव की छात्रा पोरा बाई ने जांजगीर के बिर्रा गांव से बारहवी की परीक्षा दिलाई और प्रदेश के सभी मेधावी छात्र छात्राओं को पीछे छोडते हुए प्रथम स्थान हासिल किया, बारहवीं का परिणाम घोषित होने के बाद शंका के आधार पर प्रावीण्यता सूची में नंबर एक पर आने वाली पोरा बाई की उत्तरपुस्तिका की जांच माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष बी के एस रे ने कराई तो जो सच सामने आया उसने प्रदेश के शिक्षा जगत को तार तार कर दिया पिछले चार दिनों से इस मामले का खुलासा होने के बाद प्रतिभावान विद्यार्थी भी सकते में हैं, नकल के संबंध में हमने कर्मवीरों पर हावी कामचोरों की नस्ल में लिखा था कि किस तरह बडे पैमाने पर यहां शिक्षा जैसे पवित्र पेशे को दागदार किया जा रहा है, जब बारहवीं की परीक्षा चल रही थी तब माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष श्री रे ने नकल का असली रुप देखा और उन्होंने स्वीकार किया था कि जिले भर में बडे पैमाने पर शिक्षा के नाम पर खेल जारी है, पर यह जानने के बाद भी उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, शिक्षा विभाग के अफसरों कर्मचारियों व निजी स्कूलों के संचालकों की मिलीभगत से वर्षों से इस जिले में यह धंधा फल फूल रहा है पर ऐसे सारे अधिकार प्राप्त लोगों ने कार्रवाई के बजाए अपना स्वार्थ ही देखा और बोर्ड परीक्षा का परिणाम बताने में जल्दबाजी कर दी नकल के नाम पर कुख्यात हो चुके जांजगीर जिले के बारे में अफसरों को पहले से मालूम था तो प्रावीण्यता सूची जारी करने में आखिर जल्दबाजी क्यों दिखाई गई यह सवाल अब भी अपनी जगह कायम है कि प्रावीण्यता सूची में आने वाले विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिका की दो तीन बार जांच की जाती है पर ऐसा नहीं किया गया और इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली को संदेह के दायरे में खडा कर दिया, नियमों को ताक में रखते हुए अनेक परीक्षा केन्द्रों को मान्यता दी गई और माशिम के तत्कालीन सचिव एल एन सूर्यवंशी ने इसे छात्र हित बताया नतीजतन ऐसे छात्रहित को अब प्रतिभावान विद्यार्थियों को झेलना पड रहा है, इस फर्जीवाडे के उजागर होने के बाद अब जांच की जा रही है और इसके लिए कार्रवाई करने बलि के बकरे ढूढे जा रहे हैं सवाल यह भी उठता है कि जिले में शिक्षा के नाम पर चल रहे खेल में अधिकारियों को कोई जिम्मेदारी नहीं बनती तो क्या ऐसे लोगों को जिम्मेदार मानकर उन पर कार्रवाई की जाएगी अब यह तो आने वाले समय में पता चलेगा कि राजधानी में बैठे अधिकारियों की शह पर नासूर बन चुकी नकल को बढावा देने वालों पर भी कोई कार्रवाई होगी या बलि के बकरों से ही काम चलाया जाएगा,
खबर एक्सप्रेस आपको कैसा लगा ?
Powered by Blogger.
आप सही कह रहे हैं। शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि सब कुछ जानते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं होती। इसी प्रकार लिखते रहें। सस्नेह