नकल कैसे रुके ,इसकी चिंता किसे है?
रतन जैसवानी
जांजगीर जिले में नकल ने हर बरस क्षेत्र को पूरे प्रदेश में बदनाम किया हुआ है। पिछले कई बरसों से यह जिला नकल के लिए खासा कुख्यात रहा है। लगभग तीन वर्षो से मैं खुद यहाँ की परीक्षाओं का हाल देख रहा हूं सतही खबरों से छनते-छनते अब थोडा-बहुत इस बारे में सही जानकारी मिलने लगी है। चोर का माल चंडाल खाए, की तर्ज पर स्कूल संचालकों से लेकर शिक्षा विभाग के कर्मचारी,अधिकारी,गांव के दबंग जनप्रतिनिधि जिसे जैसा मौका मिला,स्वार्थ सिध्द करने में नहीं चूकते। हर साल परीक्षाओं के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक अखबार और टीवी पर जांजगीर जिले की नकल की खबरें अमूमन रोज देखने को मिलती हैं,और शिक्षा में सुधार की गुंजाइश को सरकारी अमला सिरे से खारिज करते अपने ही तर्क-कुतर्क पेश करता है। बोर्ड परीक्षाएं शुरु होने के दूसरे दिन जिले के दौरे पर पहुंचे माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष बी के एस रे ने दो दिनों तक ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया। अखबार वाले इस फिराक में बैठे रहे कि माशिम अध्यक्ष से कब वार्ता हो और नकल के संबंध उन्हें घेरा जाए। मगर श्री रे इस मामले में काफी चतुर निकले, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पत्रकारों को यह खबर मिली कि वे दूसरे दिन परीक्षा केन्द्रों का दौरा करने के बाद बातचीत करेंगे। पर दूसरे दिन वे बलौदा क्षेत्र का दौरा करने के बाद वापस ही नहीं लौटे और वहीं से बिलासपुर होते हुए रायपुर वापस चले गए। उनके साथ पत्रकार वार्ता नहीं हो सकी।
सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य कि श्री रे साहब के दौरे के दूसरे दिन हम सुबह आठ बजे ही उनके काफिले के पीछे लग चुके थे। बलौदा क्षेत्र के करमंदा, पहरिया,पोंच,पंचगवां के स्कूलों में, नकल कैसे होती है यह पहली बार करीब से देखने को मिला। स्कूलों के आसपास नकल कराने वालों की भीड़,और अंदर में बेखौफ नकल करने वाले छात्र-छात्राएं हाथों में पुस्तक कापियां चिट के पुर्जे लिए हुए थे। रे साहब तो यह देखकर हैरत में ही पड़ गए थे कि नकल इस तरह भी होती है। पोंच के परीक्षा केन्द्र के बाहर उनसे कुछ देर खड़े-खड़े ही बातचीत हो सकी। बातचीत के दौरान उन्होंने माना कि नकल को रोकना यहाँ बहुत कठिन है। कोई कड़क नीति बनाए बिना यह संभव ही नहीं कि आने वाले बरसों में यहाँ नकल होना रुक जाए या निजी स्कूलों के फर्जीवाड़े को रोका जा सका। यह सब देखकर भी वे इसे रोकने के बारे में कोई ठोस कदम उठाने की चर्चा से बचते रहे। फिर वे वहाँ से बिलासपुर की ओर निकल गए।
सत्रह मार्च को परीक्षा के मूल्यांकन हेतु बनाए गए केन्द्र का निरीक्षण करने माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव एल.एन. सूर्यवंशी यहाँ पहुंचे तो इत्तेफाकन पता चलने के बाद रेस्ट हाउस में उनसे बातचीत हुई। लगभग एक घंटे की बातचीत में उन्होंने हर प्रश्न का जवाब घुमा फिरा कर दिया।
कार्रवाईयों के आधार पर देखें तो जितना बड़ा गोलमाल नकल के नाम पर होता है। उसके बनिस्बत मामूली सी कार्रवाईयां हुई,पुलिस ने सौ-पचास लोगों को नकल कराने के आरोप में हवालात की राह दिखाई। उड़नदस्तों की टीम ने लगभग एक हजार नकल प्रकरण बनाए।
नकल के विषय में काफी बातों को गौर करने के बाद यह भी समझ में आता है कि या बातों की लप्फाजी से इसका हल निकल पाएगा या विधानसभा के उपचुनाव की तरह एसएएफ बटालियन के साए में एकाध बार बोर्ड परीक्षाएं कराई जाएंगी?
एक बात और है कि अभिभावक भी ऐसे मामलों में अपने बच्चों का साथ देते दिखते हैं। बच्चों को डिग्रियां दिलाने और उसके जायज नाजायज कर्मों पर नजर न रखने वाले,उसे रोकने में कोताही बरतने वाले या इस अव्यवस्था के दोषी नहीं हैं?
नकल के विषय को लेकर मैं इतना क्यों सोचता हूं और भी कई बुध्दजीवी इस बारे में सोचते हैं। पर मुझे यह लगता है कि शिक्षा की अव्यवस्था,सोचा-समझा और संगठित भ्रष्टाचार आने वाले दिनों में क्या- क्या नतीजे लाएगा,इस पर सरकार भी गंभीर नहीं दिखती।
फोटो फाईल
आठ से दस फरवरी तक जांजगीर में हुए जाज्वल्य देव लोक महोत्सव में पहुंचे ख्यातिलब्ध संगीतकार,गायक रविन्द्र जैन, मशहूर शायर व गजलकार निदा फाजली, लाफटर चैलेंज शो में प्रतिभागी रहे नागौद क्षेत्र के कवि अशोक सुंदरानी।
चांपा को कोसा,कांसा और कंचन की नगरी कहा जाता है। कोसे ने चांपा को अंतर्राष्टीय पहचान दिलाई है। कोसा बुनते बुनकरों के कुछ फोटो।
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