वो गली हुस्न की, ये आशिकी का शहर
दिल में जिंदा है तेरी, तीरे नजर तीरे नजर
वो गली हुस्न की....
दिल में तूफ़ान उठा ये चांदनी देखकर
चांद शर्मिंदा हुआ तुझको दिलनशीं पाकर
फिर उठी दर्दे लहर,एक नजर एक नजर
वो गली हुस्न की.....
खबर एक्सप्रेस आपको कैसा लगा ?
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चांद शर्मिंदा हुआ तुझको दिलनशीं पाकर
"wah, beautiful, ek dilnaseen gazal"
Regards
Achchi rachna hai....badhai..
good
सुन्दर कविता, जैसवानी जी बहुत ही सुन्दर ब्लाग टैम्पलेट लगाया है. आभार.