0 राज्य में इस बार लाएंगे कृषि बजट - डा. रमन सिंह
0 जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं कृषि मेले का समापन
किसान धान, दलहन-तिलहन की फसल के साथ-साथ अपने मवेशियों को विकसित करें तथा दुग्ध सहकारी संघ बनाएं। जमीन हमारे लिये पूजनीय है। हम जमीन की जितनी सेवा करेंगे वह हमें उतना ही लाभ देगी। कृषि कार्यों में रोपाई से पहले जमीन की तैयारी आवश्यक है, जिससे अधिक उपज प्राप्त होगी। हमें अपनी उत्पादकता को निरंतर बढ़ाते रहना आवश्यक है, जिससे हम प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में विकसित राज्यों पंजाब, हरियाणा की बराबरी कर सकें। हमें अपने साधनों का अच्छे से उपयोग करना चाहिये। उन्होंने किसानों को एक फसल से दो फसल तथा दो से तीन फसल लेकर अपनी उत्पादक क्षमता बढ़ानी चाहिए, इस पर काफी ध्यान देने की जरूरत है। पानी खेती के लिये सबसे आवश्यक है तथा इसे प्रदाय करने लिये शासन प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जांजगीर-चांपा जिले में कृषि के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, किसानों की जागरूकता एवं जिज्ञासा उन्हें प्रगति के पथ पर ले जाएगी। आने वाले समय में भी यह क्षेत्र देश को नई दिशा देगा।
जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं कृषि मेला 2012 के समापन अवसर पर पहुंचे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां पहुंची किसानों की भीड़ से पता चलता है कि क्षेत्र में कृषि को लेकर काफी जागरूकता है। मेले-मड़ई की संस्कृति को सराहते हुए उन्होंने अपने विचार रखे।
समापन अवसर में बतौर कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में शामिल हुए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा कि इस बार वे राज्य में कृषि बजट लाएंगे, जिसमें किसानों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा। धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता में वृध्दि के लिए जैविक खाद के प्रयोग, उन्नत यंत्रों का प्रयोग किया जाना जरूरी है। कृषि की उत्पादन लागत कम करने एवं प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जायेगा। गरीबों को 1 रूपए, 2 रूपए किलो चांवल उपलब्ध कराने से लेकर उनके बच्चों को स्कूल जाने के लिए साईकिलें, गरीब बेटियों के विवाह के लिए कन्यादान योजना भी हमारी सरकार ने चलाई है। मुख्यमंत्री डा. सिंह ने कहा कि छत्तीसढ़ में सर्वाधिक धान खरीदी जांजगीर-चांपा जिले में हुई है। यहां का किसान केवल धान ही नहीं, वरन् सब्जी उत्पादन तथा अन्य क्षेत्रों में उन्नत है। पूरे छत्तीसगढ़ में अभी तक 52 लाख मैट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है तथा अकेली छत्तीसगढ़ सरकार ही किसान का एक-एक दाना धान खरीद रही है। देश के किसी भी अन्य प्रदेश की सरकार किसान का पूरा धान नहीं खरीद रही है।
उन्होंने किसानों को कृषि के साथ ही उद्यानिकी, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन में आगे बढ़ने को प्रेरित किया।
कार्यक्रम की शुरूआत में राज्यपाल शेखर दत्त तथा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पुराना कलेक्टोरेट परिसर में आयोजित विशाल पशुधन एवं कुक्कुट प्रर्दशनी का निरीक्षण किया। उन्होंने पशुपालक किसानों से चर्चा की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जिले के प्रभारी मंत्री दयालदास बघेल, कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू, विस उपाध्यक्ष नारायण चंदेल, सांसद कमला पाटले ने भी उपस्थित जनों को संबोधित किया। जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक कृषि मेले के समापन अवसर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री ने जाज्वल्यदेव स्मारिका का विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान भाजपा नेता व्यास कश्यप व जिला पंचायत के उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को खुमरी पहनाकर उनका स्वागत किया। अंत में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सहित सभी उपस्थित अतिथियों को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।

0 सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताई मुख्यमंत्री ने
सड़क दुर्घटनाओं में हर साल के आंकड़े देखें तो आप सब आश्चर्यचकित हो जाएंगे। 10 हजार मौतों में से 70 प्रतिशत दुर्घटनाएं दोपहिया वाहनों से हुई हैं और उसमें भी 16 वर्ष के युवाओं से लेकर 40 वर्ष उम्र तक के लोग काल कवलित हुए हैं। गांवों में अब साईकिलों से अधिक मोटरसायकिलें हो गई हैं। तेज रफ्तार से वाहन चलाने वाले युवा ये भी नहीं सोचते कि उनकी ऐसी लापरवाही से देश, प्रदेश का कितना नुकसान हो रहा है। लोग 50 हजार रूपए का वाहन तो खरीद सकते हैं, पर हजार, बारह सौ रूपए का हेलमेट खरीदने में कोताही करते हैं।
जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव व कृषि एग्रीटेक मेले के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए सुरक्षा के उपाय करने की जरूरत बताई। उन्होंने आगे कहा कि राखी के त्योहार में बहनों को अपने भाई से वचन मांगना चाहिए कि वे सड़क पर सुरक्षात्मक तरीके से वाहन चलाएं और सुरक्षा की अनदेखी न करें।
राज्य में पिछले साल से शुरू की गई संजीवनी 108 एम्बुलेंस सेवा की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री डा. सिंह ने कहा कि एक साल में ही संजीवनी एम्बुलेंस में लगभग 600 बच्चों का जन्म हुआ है और हजारों लोगों की जान भी बचाई गई है। मानव जीवन बचाना हम सबका परमधर्म है, आने वाले समय में इस सेवा से राज्य की मृत्यु दर में कमी आएगी।

इन्टरव्यू
कुमार सानू, प्रख्यात गायक।
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0 सिने पार्श्व गायक पद्मश्री कुमार सानू से रतन जैसवानी की बातचीत
जिनकी आवाज में गायकी के मसीहा किशोर कुमार साहब की झलक मिलती है। वह शख्स कुमार सानू हिंदी सिनेमा में आज एक जाना पहचाना नाम हैं। कोलकाता में जन्में कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिता पशुपति भट्टाचार्य खुद एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया। गायक किशोर दा को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने पहले तो उनके गाए हुए गीतों को टी सीरीज कैसेट कंपनी के मालिक गुलषन कुमार की पहल पर अपनी आवाज में गाकर काफी वाहवाही बटोरी, उसके बाद निर्माता, निर्देषक महेश भट्ट की राहुल रॉय व अनु अग्रवाल अभिनीत फिल्म ‘आशिकी‘ के रोमांटिक गानों से एकाएक हिंदी सिनेमा जगत पर छा गए। सन् 2000 में उन्हें ‘हम दिल दे चुके सनम‘ के गीत ‘ आंखों की गुस्ताखियां‘ के लिए अंतर्राष्ट्रीय आईआईएफए अवार्ड भी मिल चुका है। अब तक उन्होंने लगभग 17 हजार गाने हिंदी व बांग्ला फिल्मों में गाए हैं। एक ही दिन में 28 गानों की रिकार्डिंग करने वाले, 2009 में पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए और 5 बार सर्वश्रेष्ठ पुरूष गायक का पुरूस्कार पाने वाले प्रख्यात सिने पार्श्व गायक कुमार सानू ने अपनी जिंदगी के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश इंडस्ट्रीज चांपा के गेस्ट हाउस में रतन जैसवानी से बातचीत की। वे जांजगीर में आयोजित जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव में अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे थे।
0 हिंदी फिल्मों में एकाएक किशोर दा जैसी आवाज लोगों के दिलोदिमाग पर छा गई, कैसे हुआ ये सब और आशिकी के पहले कैरियर किस तरह का था ?
00 पारिवारिक माहौल संगीत का था, मां को संगीत में बहुत रूचि थी, बड़ी बहन रेडियो पर गाती थी, पिता शास्त्रीय संगीत के शिक्षक, तो जाहिर है कि मेरे लिए संगीत सीखना बहुत मुश्किल नहीं था, किशोर दा साहब को मैं अपना आदर्श मानता हूं। उन्हीं की गाए हुए काफी गीतों को मैंने टी सीरीज कैसेट के जरिए अपनी आवाज में श्रोताओं तक पहुंचाया। आशिकी के पहले सन् 1989 में जगजीत सिंह साहब ने संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी से मिलवाया और उन्होंने ही मुझे फिल्म ‘जादूगर‘ में गाने का पहला मौका दिया। फिर भट्ट कैंप की फिल्म आशिकी ने मेरे कैरियर को रातोंरात बुलंदी पर पहुंचाया।
0 22 साल के फिल्मी कैरियर की कुछ खास यादें ?
00 दरअसल आशिकी के बाद, साजन, सड़क, फूल और कांटे सहित लगातार कई फिल्मों में गाए गीतों को श्रोताओं का अच्छा प्रतिसाद मिला, लेकिन जिंदगी में दो ऐसे शख्स, जो मेरे लिए मील का पत्थर हैं। एक हैं किशोर दा, जो मेरे गायकी के आदर्श हैं, दूसरे आर. डी. बर्मन साहब, बर्मन दा के लिए मैंने उनकी लयबध्द की हुई आखिरी फिल्म ‘1942 ए लव स्टोरी‘ में कई गीत गाए, लेकिन सबसे खास यह था कि ‘जब मैंने इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा‘ गाया‘ तो बर्मन दा ने मुझे बहुत गालियां दी। मैंने पूछा कि आप मुझे गालियां क्यों दे रहे हैं। तो उनके असिस्टेंट भरतजी ने बताया कि जब बर्मन दा किसी के काम से खुश होते हैं, तो ऐसे ही गालियां देते हैं। जिंदगी का एक सुनहरा मौका मेरे हिस्से में नहीं आया अफसोस मैं किशोर दा से कभी मुलाकात नहीं कर पाया, सचिन देव बर्मन के साथ नहीं गा पाया।
0 आपका एक एलबम आया था ‘नशा‘, उसके बाद क्या हुआ, कुछ और तैयारी है ?
00 अभी तीन नए एलबम पर काम चल रहा है, एक तो संभवतः इसी वेलेंटाईन डे पर रिलीज होगा, उसके बाद दो और एलबम मार्केट में आएंगे। फिलहाल बांग्ला फिल्मों में गाने का दौर चल रहा है।
0 रियलिटी शो के बारे में ......
00 कोई खास नहीं कहना चाहता इस बारे में, रियलिटी शो लोगों को मंच तो दे रहे हैं, लेकिन वर्तमान संगीत के दौर में सुर, ताल, लय खो रही है। रियलिटी शो से कितने लोग गायकी का मकाम हासिल कर पाएंगे, ये बड़ा सवाल है।
0 छत्तीसगढ़ में आपने कई शो किए हैं, कैसा लगता है यहां ?
00 छत्तीसगढ़ में मैंने बिलासपुर, रायपुर में कुछ शो किए हैं, यहां का माहौल काफी अच्छा और सादगीपूर्ण है। मैं भी पड़ोसी राज्य कोलकाता का हूं, तो एक आत्मीयता सी लगती है यहां के माहौल में, बड़ा सुकून मिलता है यहां आकर। मुंबई में कैरियर है, लेकिन शोर-शराबा है, तेज भागती जिंदगी है।
0 वर्तमान में कौन सा संगीतकार आपको प्रभावित कर पाया ?
00 अब तो बहुत से संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। लेकिन ए. आर. रहमान की धुनों में एक अलग सा जादू है। रहमान का काम मुझे प्रभावित करता है।
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बाक्स में
21 बार ‘जैसे‘
सुप्रसिध्द संगीतकार राहुल देव बर्मन के संगीत निर्देशन में बन रही फिल्म 1942 ए लव स्टोरी का सुपरहिट गीत ‘इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा‘ में जैसे शब्द का इस्तेमाल 21 बार हुआ है। बर्मन दा ने कुमार सानू को इस गीत को हिट करने का सुझाव दिया और कहा कि तुम गाने में जैसे शब्द को हर बार अलग अंदाज में गाओगे तो गाना अपने आप ही सुपरहिट हो जाएगा। कुमार सानू ने उनके बताए अनुसार जैसे शब्द को हर बार अलग अंदाज में गाया और गाना सुपरहिट हो गया।
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दैनिक छत्‍तीसगढ में ब्‍यूरो चीफ जिला जांजगीर-चांपा
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